Chandrayaan-3 ने चांद की सतह पर सफल लैंडिंग कर ली है| यह सफलता हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन चुका है| 140 करोड़ लोगों की प्रार्थना और इसरो के साढ़े 16 हजार वैज्ञानिकों की चार साल की मेहनत रंग ले लाई| अब पूरी दुनिया ही नहीं चांद भी भारत की मुठ्ठी में है|
कैसे हुई चंद्रयान-3 की लैंडिंग?
– विक्रम लैंडर 25 किलोमीटर की ऊंचाई से चांद पर उतरने की यात्रा शुरू की | अगले स्टेज तक पहुंचने में उसे करीब 11.5 मिनट लगे, यानी 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई तक|
– 7.4 km की ऊंचाई पर पहुंचने तक इसकी गति 358 मीटर प्रति सेकेंड थी. अगला पड़ाव 6.8 किलोमीटर था |
– 6.8 km की ऊंचाई पर गति कम करके 336 मीटर प्रति सेकेंड हो गई. अगला लेवल 800 मीटर था |
– 800 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर के सेंसर्स चांद की सतह पर लेजर किरणें डालकर लैंडिंग के लिए सही जगह खोजने लगे |
– 150 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की गति 60 मीटर प्रति सेकेंड थी. यानी 800 से 150 मीटर की ऊंचाई के बीच |
– 60 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 40 मीटर प्रति सेकेंड थी. यानी 150 से 60 मीटर की ऊंचाई के बीच |
– 10 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 10 मीटर प्रति सेकेंड थी |
– चंद्रमा की सतह पर उतरते समय यानी सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर की स्पीड 1.68 मीटर प्रति सेकेंड थी |
Chandrayaan-3 ने चांद की सतह पर की सफल लैंडिंग (Photo ISRO)
विक्रम लैंडर पर चार पेलोड्स क्या काम करेंगे?
1. रंभा (RAMBHA)… यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा |
2. चास्टे (ChaSTE)… यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा |
3. इल्सा (ILSA)… यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा |
4. लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA) … यह चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा |
वैज्ञानिकों के लिए क्या है फायदा
कुल मिलाकर विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर मिलकर चांद के वायुमंडल, सतह, रसायन, भूकंप, खनिज आदि की जांच करेंगे | इससे इसरो समेत दुनियाभर के वैज्ञानिकों को भविष्य की स्टडी के लिए जानकारी मिलेगी | रिसर्च करने में आसानी होगी. ये तो हो गई वैज्ञानिकों के लिए फायदे की बात |
देश को क्या फायदा होगा
दुनिया में अब तक चांद पर सिर्फ तीन देश सफलतापूर्वक उतर पाए हैं| अमेरिका, रूस (तब सोवियत संघ) और चीन | अगर भारत के चंद्रयान-3 को सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता मिलती है, तो भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा | दक्षिणी ध्रुव के इलाके में लैंडिंग कराने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा |