इंदौर में शासकीय स्कूलों के कायाकल्प के लिए जिला प्रशासन का बड़ा निर्णय
इंदौर के शासकीय स्कूलों की अनुपयोगी बेशकीमती जमीनों को पुनर्घनत्वीकरण योजना में किया जाएगा शामिल
पुनर्घनत्वीकरण से प्राप्त राशि से इंदौर के शासकीय स्कूलों के बनेंगे नए भवन तथा होगा उनका कायाकल्प
कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने संबंधित विभागों के अधिकारियों की ली बैठक
कलेक्टर श्री सिंह ने शीघ्र विस्तृत कार्ययोजना बनाने के दिए निर्देश
इंदौर 13मार्च 2024
इंदौर में शासकीय स्कूलों के नए भवन बनाने तथा उनके कायाकल्प के संबंध में जिला प्रशासन द्वारा आज महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। इसके तहत इंदौर के शासकीय स्कूलों की अनुपयोगी तथा रिक्त भूमि को पुनर्घनत्वीकरण योजना में शामिल किया जाएगा। पुनर्घनत्वीकरण से प्राप्त राशि से इंदौर के शासकीय स्कूलों के नए भवन बनाने तथा उनके कायाकल्प के कार्य किए जाएंगे। इसके लिए कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने आज सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों की कलेक्टर कार्यालय में बैठक ली।
इस बैठक में अपर कलेक्टर श्री रोशन राय, नगर निगम के अपर आयुक्त श्री श्यामेंद्र जायसवाल, जिला शिक्षा अधिकारी श्री मंगलेश व्यास सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद थे। बैठक में कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने निर्देश दिए कि शासकीय स्कूलों की रिक्त तथा अनुपयोगी जमीनों को पुनर्घनत्वीकरण योजना में शामिल करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया जाए। साथ ही पुनर्घनत्वीकरण से प्राप्त राशि से जीर्णशीर्ण हो चुके स्कूलों के नए भवन बनाने तथा उनके कायाकल्प के लिए भी डीपीआर तैयार की जाए। बताया गया की प्रथम चरण में शहर के लोधीपुरा, जिंसी हाट बाजार तथा दवा बाजार के पास स्थित शासकीय स्कूलों की रिक्त भूमि को पुनर्घनत्वीकरण में शामिल करने के प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे। इन स्कूलों की जमीन से प्राप्त राशि से प्रथम चरण में शहर के ऐसे 61 प्राथमिक विद्यालयों को शामिल किया जाएगा जो सामुदायिक भवन में संचालित हो रहे हैं। इनके लिए नए भवन बनाए जाने की डीपीआर तैयार की जाएगी। इसके पश्चात अन्य स्कूलों की जमीनों को भी पुनर्घनत्वीकरण में शामिल किया जाएगा। इससे हायर सेकेंडरी, हाई स्कूल तथा अन्य शासकीय स्कूलों के कायाकल्प और नए भवन बनाए जाने के प्रस्ताव भी तैयार होंगे। बैठक में प्रस्ताव तैयार करने की जिम्मेदारी नगर निगम और मध्यप्रदेश गृह निर्माण मंडल के अधिकारियों को सौंपी गई है। बैठक में बताया गया कि शहर में अनेक ऐसे शासकीय स्कूल हैं जो या तो संचालित नहीं हो रहे हैं या उनके भवन जीर्णशीर्ण हो चुके हैं, इससे उनकी बेशकीमती जमीन अनुपयोगी पड़ी है और उन पर अतिक्रमण होने लगे हैं।