Wow Momo Story: पिता के ताने… बेटा बेचेगा मोमोज! लेकिन हौसला था बुलंद, खड़ी कर दी 2000Cr की कंपनी

Share Latest News On:

Wow Momo Success Story : कोलकाता में सागर दरयानी ने अपने दोस्त विनोद कुमार के साथ मिलकर 2008 में मोमोज की एक छोटा सी दुकान खोली थी और इसे वॉव मोमो नाम दिया था| आज इस कंपनी की वैल्यूएशन 2000 करोड़ रुपये को पार कर चुकी है|

देश में फास्ट फूड का मार्केट तेजी से ग्रोथ कर रहा है और आपको आज पिज्जा-बर्गर या अन्य Fast Food खाने के लिए सिर्फ रेस्टोरेंट जाने की जरूरत नहीं, बल्कि हर गली-चौराहों पर ये आसानी से मिल रहे हैं| लेकिन आज हम बात कर रहे हैं मोमोज (Momos) की, जो Pizza-Burger को सीधी टक्कर दे रहा है| मोमोज का मार्केट देशभर में किस कदर बढ़ा है, उसका सीधा उदाहरण है इसे बेचने वाली एक कंपनी Wow Momo | इसके को-फाउंडर की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है, जिसने मोमोज बेचकर 2000 करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी कर दी| आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से… 

सागर दरयानी है Wow Momo के को-फाउंडर

सभी माता-पिता का सपना होता है, कि वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाएं, जिससे वे पढ़-लिखकर डॉक्टर, इंजीनियर, पायलट या अन्य अफसर बनें और अच्छी सैलरी के साथ लग्जरी जीवन जिएं | लेकिन, जरूरी नहीं कि अच्छी नौकरी ही लग्जरी लाइफ और बड़ा आदमी बनने की गारंटी हो, बिजनेस सेक्टर में सही आईडिया के साथ की गई एक छोटी सी शुरुआत भी कमाल कर देती है और इंसान को बुलंदियों पर पहुंचा देती है| कुछ ऐसी ही कहानी है Wow Momo के को-फाउंडर सागर दरयानी (Sagar Daryani) की भी|

2008 में ऐसे की गई थी शुरुआत

सागर दरयानी के माता-पिता भी चाहते थे कि उनका बेटा पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी पकड़ ले, लेकिन सागर के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था| कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज में ग्रेजुएशन करने के दौरान उन्हें मोमोज बेचने का आईडिया आया, तब Momos सिर्फ चीनी फास्ट फूड के तौर पर ही ज्यादातर लोग जानते थे| उन्होंने इस बारे में अपने परिजनों को बताया, तो वे हैरान रह गए | तब फास्ट-फूड की बात होती थी, तो सबसे पहले जुबां पर पिज्जा और बर्गर का ही नाम आता था, लेकिन इस के बीच मोमोज के आईडिया के साथ सागर दरयानी ने साल 2008 में Wow Momo की स्थापना कर दी|

दो दोस्तों की जुगलबंदी आई काम

कोलकाता में सागर दरयानी ने अपने एक दोस्त विनोद कुमार के साथ मिलकर B.Com की पढ़ाई करने के दौरान ही मोमोज का एक छोटा सी दुकान खोल दी| इसके बाद लोगों की जुबां पर जब Wow Momo का स्वाद चढ़ा तो दुकान पर भीड़ उमड़ने लगी और देखते ही देखते छोटी सी दुकान एक आउटलेट में तब्दील हो गई| कारोबार तो बढ़ा लेकिन, शुरुआती दो सालों में फंड और वर्कफोर्स की कमी के चलते खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन सागर दरयानी ने हार नहीं मानी | ऐसे में सागर को अपने ब्रांड के प्रमोशन के लिए एक नई तरकीब निकाली |

उन्होंने Wow Momo के स्लोगन वाली टी-शर्ट्स प्रिंट कराईं और खुद व कर्मचारियों को इसे पहनकर आउटलेट्स पर रहने के लिए कहा, यही नहीं बाहर निकलने पर भी इसे पहनना शुरू कर दिया जिससे लोग इस नाम को पहचान सकें, यही नहीं उन्होंने स्टीम मोमोज के साथ ही इसमें क्रिएटिविटी दिखाते हुए तंदूरी मोमोज, कॉकलेज मोमोज, फ्राई मोमोज जैसी अन्य वैराइटी भी बेचनी स्टार्ट कर दी | सागर की ये तरकीब काम आई और उनकी दुकान चल निकली |

छोटी सी दुकान से 2000 करोड़ का सफर

एक छोटी सी दुकान से शुरू हुआ Wow Momo का कारोबार आज देश भर में फैला हुआ है और ये भारतीय कंपनी मार्केट में दबदबा बनाए हुए मैकडॉनल्ड्स, केएफसी, डोमिनोज, पिज्जा हट जैसी फास्ट फूड चेन को टक्कर दे रही है | देशभर के 26 राज्यों में इसके 600 से ज्यादा आउटलेट्स हैं और इनके जरिए हर दिन करीब 6 लाख से ज्यादा मोमोज की सेल की जा रही है | Wow Momo कंपनी की वैल्यूएशन की बात करें तो ये अनुमानिक करीब 2000 करोड़ रुपये के पार पहुंच चुकी है | इन आउटलेट्स के जरिए सागर आज लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं|

हर महीने 42 करोड़ रुपये की कमाई

अगर कंपनी की माई की बात करें तो अनुमानित तौर पर हर महीने करीब 42 करोड़ रुपये है | इनमें सबसे ज्यादा योगदान Wow Momo का है, जो लगभग 25 करोड़ रुपये प्रति माह की कमाई करता है | इसके अलावा 14 करोड़ रुपये महीने की कमाई  Wow!चीन और करीब 3 करोड़ प्रतिमाह की कमाई  Wow!चिकन से होती है | देश में इस कंपनी के तीन प्रोडक्शन प्लांट हैं, इनके जरिए रोजाना 10 लाख मोमोज का प्रोडक्शन होता है | यहां बता दें कि Wow Momo अब तक 68.5 मिलियन डॉलर का फंड जुटा चुकी है |