मोदी सरकार के गृहमंत्री अमित शाह जी द्वारा बताए गए विधेयकों की मुख्य विशेषताएं
विपक्ष की सदन को छोड़कर भागने की असली वजह यह है
जो काम 70 सालों में कांग्रेस को करना चाहिए थे
वह काम मोदी सरकार कर रही है
विपक्ष की यही सबसे बड़ी तकलीफ है की आने वाले चुनाव में जनता के सामने क्या लेकर जाएंगे
इन कानूनों के बदलाव से आम जनता को कितनी बड़ी राहत मिलने वाली है
इसका अनुमान आप नीचे लिखित बदले हुए कानून को पढ़कर समझ सकेंगे
-मॉब लिंचिंग के लिए अलग प्रावधान,
7 साल या आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा
-जीरो एफआईआर’ के लिए औपचारिक प्रावधान-
इससे नागरिक किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करा सकेंगे,
चाहे उनका अधिकार क्षेत्र कुछ भी हो
-शून्य एफआईआर को पंजीकरण के 15 दिनों के भीतर कथित अपराध के क्षेत्राधिकार वाले संबंधित पुलिस स्टेशन को भेजा जाना चाहिए
-आवेदन के 120 दिनों के भीतर जवाब देने में प्राधिकरण की विफलता के मामले में आपराधिक अपराधों के आरोपी सिविल सेवकों, पुलिस अधिकारी पर मुकदमा चलाने के लिए मानित मंजूरी
-एफआईआर दर्ज करने से लेकर केस डायरी के रखरखाव से लेकर आरोप पत्र दाखिल करने और फैसला सुनाने तक की पूरी प्रक्रिया का डिजिटलीकरण
-जिरह सहित पूरी सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की जाएगी
-यौन अपराधों के पीड़ितों के बयान दर्ज करते समय वीडियोग्राफी अनिवार्य
-सभी प्रकार के सामूहिक बलात्कार के लिए सज़ा- 20 साल या आजीवन कारावास
-नाबालिग से बलात्कार के लिए सज़ा- मौत की सज़ा
-एफआईआर के 90 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से दाखिल की जाएगी चार्जशीट
न्यायालय ऐसे समय को 90 दिनों के लिए और बढ़ा सकता है, जिससे जांच को समाप्त करने की कुल अधिकतम अवधि 180 दिन हो जाएगी
-आरोप पत्र प्राप्त होने के 60 दिनों के भीतर अदालतों को आरोप तय करने का काम पूरा करना होगा
-सुनवाई के समापन के बाद 30 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से फैसला सुनाया जाएगा
-फैसला सुनाए जाने के 7 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा
– तलाशी और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी अनिवार्य
-7 साल से अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक टीमों को अनिवार्य रूप से अपराध स्थलों का दौरा करना होगा
-जिला स्तर पर मोबाइल एफएसएल की तैनाती
-7 साल या उससे अधिक की सजा वाला कोई भी मामला पीड़ित को सुनवाई का अवसर दिए बिना वापस नहीं लिया जाएगा
– समरी ट्रायल का दायरा 3 साल तक की सजा वाले अपराधों तक बढ़ाया गया (सत्र अदालतों में 40% मामले कम हो जाएंगे)
-संगठित अपराधों के लिए अलग, कठोर सज़ा
-शादी, नौकरी आदि के झूठे बहाने के तहत महिला के बलात्कार को दंडित करने वाले अलग प्रावधान
-‘चेन स्नैचिंग’ और इसी तरह की आपराधिक गतिविधियों के लिए अलग प्रावधान
-मृत्युदंड की सजा को अधिकतम आजीवन कारावास में बदला जा सकता है, आजीवन कारावास की सजा को अधिकतम 7 साल के कारावास में बदला जा सकता है और 7 साल की सजा को 3 साल के कारावास में बदला जा सकता है और इससे कम नहीं
-किसी भी अपराध में शामिल होने के लिए जब्त किए गए वाहनों की वीडियोग्राफी अनिवार्य है, जिसके बाद मुकदमे की लंबित अवधि के दौरान जब्त किए गए वाहन के निपटान को सक्षम करने के लिए अदालत में एक प्रमाणित प्रति प्रस्तुत की जाएगी।
उपरोक्त जो कानून लाए जा रहे हैं
उन कानूनों से आम जनता की कितनी बड़ी राहत, परेशानी खत्म होने वाली है
इसका आप अनुमान लगा सकते हैं.