प्रायः शनिवारी अमावस्या साल में दो या तीन बार पड़ जाती है,किन्तु इसका कोई तय आधार नहीं है। इस बार 4 दिसंबर, शनिवार के दिन अमावस्या तिथि होने से यह दिन अत्यंत शुभ तो है ही, लेकिन इससे भी अच्छी सुखद बात यह है कि इस दिन शनिदेव का नक्षत्र अनुराधा भी विद्यमान रहेगा जो सुबह 10 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। शास्त्रों के अनुसार अमावस्या हवन-पूजा, श्राद्ध, तर्पण एवं पितरों की आत्मा की शांति के लिये सर्वश्रेष्ठ दिन माना गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार शनिदेव का जन्म अमावस्या तिथि को शनिवार के दिन हुआ था। इसलिए शनि अमावस्या का ये संयोग शनिदेव को प्रसन्न करने एवं शनिदोषों से मुक्ति पाने का एक विशेष अवसर है। इस दिन कुछ ज्योतिषीय एवं धार्मिक उपाय करने से शनि व पितृ दोषों की शांति होती है।
शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय
- ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार शनि अमावस्या पर पीपल की जड़ में कच्चा दूध मिश्रित मीठा जल चढ़ाने व तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है। शनि की साढ़ेसाती या ढईया के चलते पीपल के पेड़ की पूजा करना और उसकी परिक्रमा करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।वहीं सुख-शांति में वृद्धि के लिए इस दिन पीपल का वृक्ष रोपना बहुत अच्छा माना गया है।
- शनिदेव के दिव्य मंत्र ‘ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:’ का इस दिन जप करने से प्राणी भयमुक्त रहता है।
- शनिदेव के आराध्य भगवान शिव हैं। शनि दोष की शांति के इस दिन शनिदेव की पूजा के साथ-साथ शिवजी पर काले तिल मिले हुए जल से ‘ॐ नमः शिवाय’ का उच्चारण करते हुए अभिषेक करना चाहिए।
- शनिदेव की प्रसन्नता के लिए जातक को शनिवार के दिन व्रत रखना चाहिए एवं गरीब लोगों की मदद करनी चाहिए,ऐसा करने से जीवन में आए संकट दूर होने लगते हैं।
- शनिदेव, हनुमानजी की पूजा करने वालों से सदैव प्रसन्न रहते हैं,इसलिए इनकी कृपा पाने के लिए शनि पूजा के साथ-साथ हनुमान जी की भी पूजा करनी चाहिए।