अमेरिका और रूस में सांप-नेवले की जो केमिस्ट्री चली आ रही थी, उसमें एक ट्राएंगल बन रहा है. अमेरिका अब रूस के साथ-साथ चीन से भी बिदकने लगा है. प्यू रिसर्च सेंटर के सर्वे में 80% से ज्यादा अमेरिकियों ने माना कि वे चीन को पसंद नहीं करते. बहुत से ऐसे लोग चाहते थे कि वक्त रहते ही चीन को सबक मिल जाए ताकि वो अमेरिका पर हावी न हो.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिलहाल अमेरिका की स्टेट विजिट पर हैं. ये अपनी तरह का सबसे बड़ा सम्मान है, जो अमेरिकी राष्ट्रपति किसी विदेशी लीडर को देता है पीएम की अमेरिका यात्रा को लेकर बाकी देशों में भी सुगबुगाहट है. माना जा रहा है कि ये दौरा भारत-अमेरिका को और करीब लाएगा.
इस बीच रूस और चीन भी नए तानेबाने बुन रहे
चीन खुद को रूस का दोस्त बता रहा है. दुनियाभर की पाबंदियां झेल रहे इस देश के साथ वो कई व्यापारिक समझौते कर रहा है. दूसरी तरफ भारत-रूस के रिश्ते कुछ हल्के पड़ते लग रहे हैं. अब अमेरिका से गहराते रिश्तों के बीच ये भी हो सकता है कि एक नया गठबंधन हो. इसमें एक तरफ अमेरिका-भारत होंगे, तो अगली ओर चीन-रूस. कुल मिलाकर, रूस और अमेरिका की पुरानी दुश्मनी नई पैकेजिंग में दिखने लगी है. चूंकि ये सब ही ताकतवर देश हैं, लिहाजा इससे पावर-पॉलिटिक्स का नया समीकरण बन सकता है.
क्या है रूस-अमेरिका तनाव का इतिहास?
दूसरे विश्व युद्ध के बाद तत्कालीन सोवियत संघ और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ने लगा. इसकी वजह राजनैतिक-आर्थिक विचारधारा थी. अमेरिका पूंजीवाद पर यकीन करता, जबकि सोवियत संघ कम्युनिस्ट विचारधारा वाला था. दोनों को यकीन था कि उनके सिस्टम से दुनिया ज्यादा सही ढंग से चलेगी. धीरे-धीरे ये बात तनाव की वजह बनने लगी.